यूकेश चंद्राकर
भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी पर अमेरिका में 265 मिलियन डॉलर के कथित रिश्वत और धोखाधड़ी मामले में आरोप लगाए गए हैं। न्यूयॉर्क के न्यायालय ने अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी और छह अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इन पर 2020-24 के दौरान सौर ऊर्जा अनुबंध प्राप्त करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप है। अमेरिकी अभियोजन पक्ष ने इस घोटाले को विस्तृत सबूतों के साथ प्रस्तुत किया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक डेटा और निजी चर्चाओं के रिकॉर्ड शामिल हैं।

अमेरिकी न्याय विभाग ने इसे “संगठित और योजनाबद्ध आर्थिक धोखाधड़ी” करार दिया है तो वहीं, भारत में विपक्ष ने इसे प्रधानमंत्री मोदी और अडाणी के संबंधों पर सवाल उठाने का मौका बना लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “यह घोटाला मोदी सरकार की संरचना का प्रतीक है।” भाजपा ने इन आरोपों को भारत के विकास को बदनाम करने की साजिश बताया। उधर, अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने इस मामले को “ग्लोबल क्रोनी कैपिटलिज़्म” का उदाहरण बताया।
अडाणी समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे “राजनीतिक प्रायोजित” और “भारत के खिलाफ पश्चिमी एजेंडा” करार दिया है और समूह ने अपने प्रस्तावित डॉलर बॉन्ड के मुद्दे को फिलहाल रोक दिया है। इस मसले के बाद बाजारों में अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है।
यह मामला न केवल अडाणी समूह के लिए चिंताजनक स्थिति निर्मित करता है बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों पर भी असर डाल सकता है। इस मामले पर फिलहाल भारत में राजनीतिक बयानों की, आरोपों प्रत्यारोपों की बाढ़ आ गई है । एक तरफ जहां विपक्ष इसे भारत में धन और शक्ति के केंद्रीकरण का उदाहरण बता रहा है, वहीं भाजपा ने इसे “मजबूत भारत” के खिलाफ षड्यंत्र बताया है। बहरहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह विवाद भारत की कारोबारी छवि के लिए चुनौती तो ज़रूर पेश कर रहा है।