यूकेश चंद्राकर
ब्राजील के रियो डी जनेरियो में 18-19 नवंबर को संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन 2024 ने वैश्विक स्तर पर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णयों को आकार दिया। सम्मेलन ने विकसित और विकासशील देशों के बीच एक संवाद का माध्यम बनते हुए वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए नई उम्मीदें जगाई।

यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जब विश्व अनेक संकटों का सामना कर रहा है, जिनमें जलवायु परिवर्तन, खाद्य और ऊर्जा संकट, और वैश्विक संघर्षों के कारण उत्पन्न आर्थिक अस्थिरता प्रमुख हैं। सम्मेलन का मुख्य विषय था: “समानता और सतत विकास: साझा भविष्य की ओर”।
ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा के नेतृत्व में, शिखर सम्मेलन ने विकासशील देशों की चिंताओं और उनके मुद्दों को केंद्र में रखा।
विकसित देशों के राष्ट्रध्यक्ष, काश वो करते जो वे कई बार कहते हैं :
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वैश्विक सुरक्षा और ऊर्जा संकट से निपटने के लिए नई पहल की घोषणा की।उन्होंने जी-20 देशों के बीच हरित ऊर्जा निवेश बढ़ाने पर बल दिया और नेट ज़ीरो इमिशन लक्ष्य को तेज़ी से प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई।अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन पर $100 बिलियन की नई फंडिंग का वादा किया।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वैश्विक व्यापार सुधार और डिजिटल आर्थिक सहयोग को प्राथमिकता देने की बात कही।शी जिनपिंग ने विकासशील देशों के लिए साउथ-साउथ कोऑपरेशन फंड के तहत अतिरिक्त वित्तीय सहायता की घोषणा की।
यूरोपीय संघ प्रमुख चार्ल्स मिशेल ने जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में सहयोग के लिए 50 बिलियन यूरो की प्रतिबद्धता जताई।यूरोपीय देशों ने विकासशील देशों को तकनीकी और वैज्ञानिक सहायता का प्रस्ताव दिया।
जापान के राष्ट्रप्रमुख फुमियो किशिदा ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश बढ़ाने की बात की।उन्होंने “एशिया-प्रशांत हरित ऊर्जा साझेदारी” की घोषणा की।

विकासशील देशों के राष्ट्रध्यक्ष भी कहते हैं, गंभीर कहते हैं :
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लोबल साउथ की चुनौतियों को उठाते हुए भोजन, उर्वरक और ईंधन संकट पर गंभीर चर्चा की।भारत ने वैश्विक भूखमरी और गरीबी उन्मूलन के लिए अपनी उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए गरीब देशों को मानवीय सहायता की पेशकश की।भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस और मिशन लाइफ जैसे सतत विकास लक्ष्यों को प्राथमिकता दी।
नाइजीरिया के राष्ट्रप्रमुख बोला अहमद तिनुबु ने अफ्रीका के सामने बढ़ती जलवायु समस्याओं और गरीबी के मुद्दों पर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया।उन्होंने वैश्विक वित्तीय संस्थानों में सुधार और ऋण राहत की वकालत की।

ग़रीब की झोली खाली रहती है, वह मांगता है !
मलावी और जाम्बिया जैसे सबसे गरीब देशों ने खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा संसाधनों की कमी पर अपनी चिंताओं को सामने रखा।उन्होंने वैश्विक भागीदारी और अनुदानों की मांग की।
ब्राजील के लूला दा सिल्वा ने जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक नेतृत्व का आह्वान करते हुए अमेज़न संरक्षण के लिए 10 देशों के साथ मिलकर एक नई पहल शुरू की।
सम्मेलन के नतीजे क्या और भारत पर प्रभाव क्या ?
1. वैश्विक नेतृत्व में भारत का उभार
भारत ने खुद को विकासशील देशों की आवाज़ और वैश्विक समस्याओं के समाधान में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत किया।”ग्लोबल साउथ” का नेतृत्व करने में भारत की स्थिति और मजबूत हुई।
2. आर्थिक और रणनीतिक लाभ
हरित ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं में भारत के लिए निवेश के नए रास्ते खुल सकते हैं।वैश्विक व्यापार संतुलन में भारत की भूमिका अहम हो सकती है।
3. विश्व स्तर पर सहयोग का बढ़ना
जी-20 ने सतत विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए साझा प्रयासों को बढ़ावा दिया। इससे भारत सहित सभी देशों को लाभ होगा।
2024 का जी-20 शिखर सम्मेलन न केवल एक मंच था जहां वैश्विक समस्याओं पर चर्चा हुई, बल्कि यह एक ऐसा अवसर भी था जिसने वैश्विक विकास के लिए सहयोग के नए द्वार खोले। भारत की नेतृत्वकारी भूमिका ने इसे एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है।
इस शिखर सम्मेलन से निकले निर्णय आने वाले दशकों में विश्व के आर्थिक और सामाजिक ढांचे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।