सुकमा, छत्तीसगढ़: सुकमा जिले में मंगलवार को सुरक्षा बलों ने माओवादियों के खिलाफ एक बड़े अभियान में 10 माओवादियों को मार गिराया। मारे गए माओवादियों में से 6 की पहचान कर ली गई है, जो लंबे समय से वांछित थे और जिन पर कुल 21 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यहां सुरक्षा बलों ने एक ही दिन में नक्सलियों को दो बार शिकस्त देते हुए न सिर्फ 10 माओवादियों को उन्हीं के आधार क्षेत्र में घुसकर मार गिराया है बल्कि इसी क्षेत्र में एक नया कैंप भी खोल दिया है ।

सुरक्षा बलों को इलाके में माओवादियों के जमावड़े की सूचना मिली थी। इस आधार पर सुरक्षा बलों ने सुकमा के घने जंगलों में एक रणनीतिक अभियान शुरू किया। माओवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की। करीब तीन घंटे तक चली मुठभेड़ में 10 माओवादी मारे गए ।

मारे गए माओवादियों में 6 इनामी नक्सलियों की पहचान हुई है। ये सभी माओवादी संगठन के विभिन्न यूनिट्स से जुड़े थे और छत्तीसगढ़ पुलिस को लंबे समय से इनकी तलाश थी।
1. मड़कम (दूधी) मासा (उम्र 42 वर्ष): दक्षिण बस्तर डिवीजन एमआई इंचार्ज और प्लाटून नंबर 04 व 08 का प्रभारी। इनाम: ₹8 लाख।
निवासी: भंडारपदर, थाना भेजी, जिला सुकमा।
2. दूधी हूंगी (उम्र 35 वर्ष): प्लाटून नंबर 04 की पार्टी सदस्य। इनाम: ₹2 लाख।
निवासी: भंडारपदर, थाना भेजी, जिला सुकमा।
3. लखमा माड़वी (उम्र 25 वर्ष): डिवीजन स्मॉल एक्शन टीम कमांडर/एसीएम। इनाम: ₹5 लाख।
निवासी: जिलोडगड्डा, थाना पामेड़, जिला बीजापुर।
4. मड़कम जीतू: प्लाटून नंबर 04 का सदस्य। इनाम: ₹2 लाख।
निवासी: दंतेशपुरम, थाना भेजी, जिला सुकमा।
5. कुमारी मड़कम कोसी: प्लाटून नंबर 04 की पार्टी सदस्य। इनाम: ₹2 लाख।
निवासी: गंगराजपाड़, थाना कोंटा, जिला सुकमा।
6. कोवासी केसा: प्लाटून नंबर 04 का सदस्य और मड़कम मासा का गार्ड। इनाम: ₹2 लाख।
निवासी: जिलोडगड्डा, थाना पामेड़, जिला बीजापुर।
मिशन 2026 : एक नया कैंप नक्सलगढ़ में
सुकमा पुलिस और सीआरपीएफ ने मुठभेड़ के साथ-साथ नक्सलियों के गढ़ में अपनी पकड़ मजबूत करते हुए बटालियन ज़ोन रायगुड़म में एक नया सुरक्षा कैंप स्थापित किया है। यह कैंप नक्सलियों के लिए रणनीतिक दृष्टि से अहम इस क्षेत्र में उनकी गतिविधियों को रोकने में मदद करेगा।
बीते एक सप्ताह में सुकमा पुलिस ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दो नए कैंप खोले हैं। इस अभियान का नेतृत्व सुकमा एसपी किरण चव्हाण और सीआरपीएफ डीआईजी आनंद ने किया, जो स्वयं मौके पर मौजूद थे। इन सुरक्षा कैंपों का उद्देश्य न केवल क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी माओवादियों के प्रभाव से मुक्त करना है।
तेजी से खोले जा रहे सुरक्षा कैंप नक्सलियों के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। ये कैंप न केवल उनकी रणनीतियों को विफल कर रहे हैं, बल्कि सुरक्षा बलों को स्थानीय ग्रामीणों तक पहुंचने और विश्वास कायम करने में मदद कर रहे हैं।
सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने कहा, “यह कार्रवाई और सुरक्षा कैंप हमारी रणनीति का हिस्सा हैं। हमारा लक्ष्य 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाना है, और इस दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।”
यह मुठभेड़ और सुरक्षा कैंप का निर्माण छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बलों की नक्सलियों के खिलाफ जारी मुहिम का एक अहम हिस्सा है। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह कार्रवाई न केवल सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता है, बल्कि ‘नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ 2026’ मिशन की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।